ग्वालियर ।ग्वालियर में मध्यप्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य डॉ. एएस भल्ला एक निजी चिकित्सालय के अवैध बने हिस्से को ढहाने के लिये पुलिस ने सुबह से कमर कस ली। उधर निजी हास्पीटल द्वारा जिला न्यायालय से लिया स्टे आर्डर की मियाद भी आज खत्म हो गई और प्रशासन ने तुडाई की। उधर तुडाई का विरोध हास्पीटल की महिला कर्मचारियों ने किया। लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल के कारण उनकी एक ना चली। बाद में प्रशासन और पुलिस ने हास्पीटल में भर्ती मरीजों को हास्पीटल से अन्यत्र स्थानांतरित कराया और हास्पीटल का सामान निकलवाने के बाद तुडाई की। वहीं सीएमएचओ ने सहारा हास्पीटल का पंजीयन भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है।
ग्वालियर के बसंत बिहार कालोनी में वर्षों से सहारा हास्पीटल के नाम से एक चिकित्सालय चल रहा था। आज सुबह से पुलिस और प्रशासन का अमला इस चिकित्सालय के अवैध बने हिस्से को तोडने के लिए पहुंच गया। बताया जाता है कि नवंबर माह में चिकित्सकों द्वारा लगातार अस्पतालों की जांच के बाद वरिष्ठ चिकित्सकों ने एक बैठक गजराराजा मेडीकल कालेज के सभागार में की थी। इस बैठक में इन चिकित्सकों ने प्रशासन के कलेक्टर से लेकर अन्य अधिकारियों को सर कहने पर आपत्ति जताई थी। वहीं उन्हें देखने के लिए घर नहीं जाकर अस्पताल में ही आम मरीज की तरह दिखाने की बात कही थी। इस बात से प्रशासन खफा हुआ और उसने एक दिन एसडीएम के साथ अन्य अमले को भेज कर कुछ नर्सिंग होम पर कार्रवाई करते हुए नोटिस चस्पा किये थे साथ ही नर्सिंग होम में बने अवैध हिस्से अतिक्रमण को हटाने की भी हिदायत दी थी। इस नोटिस के बाद सहारा हास्पीटल के संचालक डॉ. एएस भल्ला जो कि अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य हैं ने नोटिस के आधार पर जिला न्यायालय से स्थगन ले लिया। इस स्थगन की अवधि आज समाप्त हुई और प्रशासन कमर कसकर हास्पीटल के अवैध हिस्से को तोडने पहुंच गया। निगम के मदाखलत अमले ने जैसे ही अवैध हिस्से को तोडना शुरू किया तो इसका विरोध वहां मौजूद महिला कर्मियों ने किया। लेकिन पुलिस और प्रशासन के अमले के सामने उनकी एक ना चली। बाद में प्रशासन ने अस्पताल में मौजूद भर्ती मरीजों को एक -एक कर हटाया , और अस्पताल का सामान भी खाली कराया। समाचार लिखे जाने तक हास्पीटल का सामान निकाला जा रहा था। उसके बाद प्रशासन का अमला अस्पताल के अवैध हिस्से की तुडाई करेगा।
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रोते रहे अस्पताल स्टाफ और अटेंडर
सहारा अस्पताल पर नगर निगम और प्रशासन की कार्रवाई के दौरान अस्पताल स्टाफ और अटेंडर कई बार प्रशासन के सामने कार्रवाई न करने की गुहार लगाते रहे लेकिन प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी वहीं अस्पताल के डॉक्टर भी बार-बार यह कहते रहे कि आप 10 मिनट रूको हम आपको स्टे की कॉपी दिखा रहे है पर प्रशासन नहीं माना और उन्होंने अपनी कार्रवाई कर दी। इस दौरान उन्होंने अस्पताल के ऊपर की छत और बाहर का गेट तोड़ दिया।सहारा हॉस्पिटल के संचालक डॉ. एएस भल्ला है जिन्होंने हाल ही में अन्य डॉक्टरों के साथ मिलकर प्रशासन पर अस्पताल में दखलअंदाजी समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे इसके बाद प्रशासन की तरफ से भी 24 घंटे में ही कमिश्नर कोर्ट के आदेश पर सहारा समेत शहर के 11 नामी अस्पतालों को नोटिस थमा दिए गए थे लेकिन सहारा अस्पताल की तरफ से कोई जबाव नहीं मिलने पर ही यह कार्रवाई की गई हालांकि कार्रवाई के करीब आधा घंटे बाद ही कोर्ट का स्टे मिलने के बाद प्रशासन और नगर निगम ने सहारा अस्पताल पर कार्रवाई रोक दी।
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नियम के विरुद्ध हो रहा था काम
कांग्रेस नेता बृज मोहन परिहार के बंगले से लगी उनकी दूसरी कोठी है जिसमें लगभग तीन दशक से डॉ भल्ला का सहारा अस्पताल चलाया जा रहा था। दोनों के बीच कोठी को खाली कराए जाने का विवाद भी चल रहा है। बताया गया है कि नगर निगम अधिनियम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की शर्तों का उल्लंघन करके इस अस्पताल का संचालन किया जा रहा था।
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तोड़फोड से हमारा सरोकार नहीं
सहारा अस्पताल पर की जा रही तोड़फोड़ से हमारा कोई लेना देना नहीं है और नहीं इस संबंध में हमने कोई शिकायत नहीं की है। हमारे यहां भी दुकान पर तोड़फोड़ करने आयी थी टीम लेकिन हमने दुकान की परमिशन दिखा दी है।
रश्मि परिहार, मकान मालिक, बसंत बिहार
जिला प्रशासन की कडी कार्रवाई...सहारा हास्पीटल का अवैध हिस्सा तोडा, पंजीयन निरस्त