-शुक्रवार- धनतेरस शनिवार-रूपचौदस रविवार - दीवाली सोमवार - अन्नकूट मंगलवार - भाईदूज ग्वालियर।पांच दिवसीय दीपोत्सव का शुभारंभ आज धनतेरस से होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार धनतेरस शुक्रवार को होने से सबके लिए मंगलकारी रहेगा। धनतेरस पर अनेक वर्ष बाद इस वर्ष मंगल धनवर्षा का योग बन रहा है। इससे धनतेरस सभी के लिए मंगलकारी रहेगा। भगवान कुबेर खजाने का द्वार खोलेंगे। बाजार में कुबेर धन की वर्षा होगी।धन की वर्शा का पर्व धनतेरस एंव दीपावली के अवसर पर बंफर खरीददारी की उम्मीद से नगर मे बर्तन, इलेक्ट्रानिक, मोटर साईकिल से लेकर स्वर्ण अभूशणो तक का बजार सजकर तैयार हो गया है। महानगर के व्यापारियो द्वारा ग्राहको के रुझान के अनुसार नगर के ज्वेलरी, आटोमोबाईल्स व इलेक्ट्रानिक समेत बर्तन के दुकान संचालको ने बजार की तैयार कर रखी है क्षेत्र के व्यसायियो को इस वर्ष अच्छी बिक्री का अनुमान ज्वेलर्स दुकान के संचालक संजय अग्रवाल ने बताया कि गोल्ड व ज्वेलरी की ओर ग्राहको के रुझान को देखते हुये एक से बढ कर एक कलात्मक आभूषण का सग्रंह हमारे ज्वेलरी शॉप मे उपलब्ध है हर वर्ग के ग्राहको की पंसद को ध्यान मे रखकर आभूषणों का अनुपम संग्रह किया गया है सोने-चांदी की बढी कीमतो के कारण कुछ प्रभाव पड सकता है।
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रूप, नरक चतुर्दशी
कार्तिक कर्षण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी आती है। इस दिन सौंदर्य रूप श्रीकष्ण की पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। ऐसा करने से भगवान सुंदरता देते हैं। इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।
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दीपावली
दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावली शब्द दीपज्् एवं आवली की संधि से बना है। आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है, दीपोंकी पंक्ति। भारत वर्ष में मनाए जानेवाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों .ष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। पूजन के लिए सर्वप्रथम चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें।
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गोवर्धन पूजा, अन्नकूट
दीपावली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।
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यम द्वितीया, भाईदूज
भाईदूज (भातृद्वितीया) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार देता है। भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है।
5 दिनी दीवाली महोत्सव आज से;धनतेरस पर होगी खरीददारी, सज गये घर व बाजार